Sunday, September 7, 2008

WE SHALL FIGHT, WE SHALL WIN!

हम लड़ेंगे साथी, उदास मौसम के लिए
हम लड़ेंगे साथी, गुलाम इच्छाओं के लिए
हम चुनेंगे साथी, ज़िंदगी के टुकड़े।
हथौड़ा अब भी चलता है, उदास निहाई पर
हल की फाल अब भी चीरती है, चीखती धरती को
यह काम हमारा नहीं बनता, सवाल नाचता है।
सवाल के कन्धों पर चढ़कर
हम लड़ेंगे साथी, हम चुनेंगे जिंदगी के टुकड़े।

कत्ल हुए जज्बात की कसम खाकर
बुझी हुई नज़रों की कसम खाकर
हाथ पर पड़े गड्ढ़ों की कसम खाकर।
हम लड़ेंगे साथी
हम लड़ेंगे साथी तब तक
खिले हुए सरसों के फूल को
जब तक बोने वाले ख़ुद नहीं सूंघते
हम लड़ेंगे
जब तक कि कलम
बनियों की रखैल है।
कि दफ्तर के बाबू
जब तक लिखते हैं लहू से अक्षर
हम लड़ेंगे जब तक
दुनिया में लड़ने की जरूरत है।

जब तक बंदूक न हुई, तब तलवार होगी
जब तलवार न हुई, लड़ने की लगन होगी
लड़ने का ढंग न हुआ, लड़ने की जरूरत होगी
और हम लड़ेंगे साथी
हम लड़ेंगे
कि अब तक लड़ क्यों नहीं
हम लड़ेंगे
अपनी सज़ा कबूलने के लिए
लड़ते हुए जो मर गए
उनकी याद जिंदा रखने के लिए
हम लड़ेंगे साथी।

No comments: