Sunday, September 7, 2008

पड़ गया है क्रांति का बीज

एक क्रांति होगी... आजादी पाने की क्रांति... अन्याय को पैदा करने वालों के खिलाफ क्रांति और अब पड़ चुकी है इसकी बीज। ये लड़ाई बैलेट और बुलेट से नहीं कानून के सहारे लड़ी जाएगी। तब तक लड़ी जाएगी जब क्रांतिवीरों के शरीर में खून का एक कतरा भी मौजूद रहेगा। खून के करते को हम यूं ही जाया भी नहीं होने देंगे। बात पते की है। ईटीवी कोई पहली कंपनी नहीं है जो बॉन्ड भरवाकर नौकरी देता है। लेकिन ये बॉन्ड एकतरफा है। लोग सवाल उठा सकते हैं कि बॉन्ड पर साइन क्यों किया। तो हमारा ये जवाब है ये कि भारत में बेरोजगारी की हालात में क्या ये मुमकिन है कि नौकरी के शुरूआत में ही बारगेन की जाए। क्या भारत में कोई ऐसी कंपनी है जो इंप्लाई से ये कहता है कि आप भी अपनी शर्तों का एक खाका तैयार करें। बेशक नहीं यहां तो आपको बॉन्ड पर साइन करना ही होता है। कम से कम नौकरीपेशा लोगों के लिए इसे समझना मुश्किल भी नहीं। पत्रकारों को बंधन में बांधना लोकतंत्र को बेड़ियों में जकड़ने के बराबर है। इस तरह के अपराध करने वालों को कड़ी से कड़ी सजा मिलनी ही चाहिए। क्रांति के बीज बोए जा चुके हैं, बिगुल बच चुका है। दोस्तों कमर कस लो जब एक राक्षस का संहार करना है। इसी ब्लॉग में बॉन्ड की एक कॉपी भी भेज रहा हूं।
आपका दोस्त
कौशल

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